माक्षिका सदा पवित्र ही कही गई परन्तु पश्चिमी प्रभाव में अशुद्ध घोर हो गई
कालचक्र भारतीय टूटने लगा कि मित्र अर्धरात्रि में सुनो नवीन भोर हो गई
आर्य भू महापराक्रमी सदा रही अतीव किन्तु आज दीर्घसूत्रिता अछोर हो गई
वाक्य रक्षणार्थ प्राण त्याग की परम्परा न सूर्यवंश में दिखे लगे कि चोर हो गई
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
लखनऊ
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