काव्य साधना न व्यर्थ है कभी सदैव जान ये मनुष्य को सदा मनुष्यता सिखाती है
शारदा कृपा विशेष हो तभी मिले कवित्व छन्दसिद्धि देवतुल्य आज भी बनाती है
दीन या निराश चित्त में यही भरे उमंग और अंग अंग मध्य चेतना जगाती है
छन्द शास्त्र ज्ञान युक्त जो हुआ प्रवीण मित्र ये विधा महान मोक्ष भी उसे दिलाती है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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