वीर्य नाश में निमग्न मानवीयता है भग्न किंचित महत्त्व भी मिले न शुद्ध नेह को
यौवन अपार शक्तियुक्त किन्तु काम नित्य, क्षीण ही करे समग्र मानवीय देह को
आर्य ये रहस्य जान हुए बड़े मेधावान धार ब्रह्मचर्य कहें सेव्य अवलेह को
कारण यही था तब जीवन सहस्त्र वर्ष आज मिलता नहीं शतायु किसी गेह को
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
यौवन अपार शक्तियुक्त किन्तु काम नित्य, क्षीण ही करे समग्र मानवीय देह को
आर्य ये रहस्य जान हुए बड़े मेधावान धार ब्रह्मचर्य कहें सेव्य अवलेह को
कारण यही था तब जीवन सहस्त्र वर्ष आज मिलता नहीं शतायु किसी गेह को
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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