Monday 24 June 2013

पूनम की रजनी

यह पूनम की रजनी प्रिय है स्वर गूँज रहे तव पायल के
रजनीश लखें अति व्याकुल हो मधु शीतल आज पियें जल के
हरते वह शील रहे बचना ऋषि पीड़ित थे इस भूतल के
यह पावस की ऋतु है इसमें रति काम सुधा बन के छलके
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ 

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