Wednesday 12 June 2013

भो सविता!

एक कुण्डलिया छन्द ..

सविता के हम पुत्र हैं, दिव्य हमारा तेज
पर क्षमता कम हो गई, प्रिय हमको अब सेज
प्रिय हमको अब सेज, संग भी मात्र प्रिया का
वेदशास्त्र को भूल न लेते नाम सिया का
राष्ट्र जगे इस हेतु लिखूँ मै नियमित कविता
इसमें कुछ सहयोग करो तुम भी भो सविता!
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

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