सिंहावलोकन में दुर्मिल सवैया---
छलके ममता जब आँचल से शुचि काव्य प्रसाद तभी झलके
झलके उर भक्ति सुनो प्रिय माँ जब छन्द प्रबन्ध न हों हलके
हलके हलके मुंदतीं पलकें रसपान करें तव सम्बल के
बल के न कठोर प्रयोग बढें वर दो बस नेह सुधा छलके
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
छलके ममता जब आँचल से शुचि काव्य प्रसाद तभी झलके
झलके उर भक्ति सुनो प्रिय माँ जब छन्द प्रबन्ध न हों हलके
हलके हलके मुंदतीं पलकें रसपान करें तव सम्बल के
बल के न कठोर प्रयोग बढें वर दो बस नेह सुधा छलके
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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