अति सीमित होकर के सुन लो जग मध्य नही हमको रहना है
सम वायु प्रवाह समग्र धरा हमको अब निश्चित ही बहना है
असुरत्व प्रसारित, दुर्ग सुनो इसका क्षण ही भर में ढहना है
तप योग व ज्ञान व मानवता शुचि भारत माँ हित ही गहना है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
सम वायु प्रवाह समग्र धरा हमको अब निश्चित ही बहना है
असुरत्व प्रसारित, दुर्ग सुनो इसका क्षण ही भर में ढहना है
तप योग व ज्ञान व मानवता शुचि भारत माँ हित ही गहना है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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