मोहक स्वरूप आपका निहारता सदैव......अम्ब अमरत्व हित आपकी शरण हूँ
धर्म कलिकाल में बता रहा मैं जग मध्य असफल किन्तु जैसे ग्रन्थ मैं करण हूँ
सत्य कहता हूँ ऋषि वचन उपेक्षित हैं......कर्मकाण्ड में सुविज्ञ होता का हरण हूँ
माँ प्रभाव कुछ तो प्रसार दो स्वशक्तियुक्त..देख अति पीड़ित स्वदेश का क्षरण हूँ
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
धर्म कलिकाल में बता रहा मैं जग मध्य असफल किन्तु जैसे ग्रन्थ मैं करण हूँ
सत्य कहता हूँ ऋषि वचन उपेक्षित हैं......कर्मकाण्ड में सुविज्ञ होता का हरण हूँ
माँ प्रभाव कुछ तो प्रसार दो स्वशक्तियुक्त..देख अति पीड़ित स्वदेश का क्षरण हूँ
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ