Monday 24 February 2014
Wednesday 19 February 2014
Tuesday 18 February 2014
Thursday 13 February 2014
एक बासन्ती छन्द मेरा भी-
मधुमास है दिगन्त रससिक्त और मधुवासित निशा उषा कुहुक उठी कोकिला
मदयुक्त यौवन भी अलि कलियों का देख मांग मकरन्द कहें रस मुझको पिला
बढ़ती उमंग की तरंग मस्त छनी भंग पाकर के अवसाद भी लगा खिला खिला
ठिठुरे न शीत से व ताप भी है शान्त तब हर्ष लिए उर मध्य रवि सांझ से मिला
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
Wednesday 12 February 2014
Tuesday 11 February 2014
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