Friday 18 December 2015
Tuesday 7 April 2015
कैसे तू प्रधान है
निश्चित ही अन्नदाता तुम हो परन्तु प्रभु इसका निमित्त बनता सदा किसान है
वृष्टि असमय हो गयी है तो उपज नष्ट इन्द्रकोप से वो हुआ आज हलाकान है
भूमिपुत्र शासक प्रदेश का बना है किन्तु उसको भी भूमिपुत्रों का न रञ्च ध्यान है
मृत्यु का वरण करने चले वो धिक् धिक् अखिलेश कैसे है तू कैसे तू प्रधान है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
वृष्टि असमय हो गयी है तो उपज नष्ट इन्द्रकोप से वो हुआ आज हलाकान है
भूमिपुत्र शासक प्रदेश का बना है किन्तु उसको भी भूमिपुत्रों का न रञ्च ध्यान है
मृत्यु का वरण करने चले वो धिक् धिक् अखिलेश कैसे है तू कैसे तू प्रधान है
रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ
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